"zone name","placement name","placement id","code (direct link)" apnevichar.com,Popunder_1,15485358,"" 996.com,DirectLink_1,15488589,https://gw7eez7b7fa3.com/jcbu8318e4?key=806f9e0a5edee73db1be15d7846e32a6 भारतीय समाज में धर्म का महत्व: 2021

Tuesday, April 20, 2021

Prithvi ka dukh varnan

 

पृथ्वी का दुख वर्णन

सूत जी बोले द्वापर युग  में अंत समय में पृथ्वी का भार बहुत बढ गया। नाना प्रकार के अत्याचारों से पीड़ित पृथ्वी तब दुखी होकर ब्रह्मा की शरण में गई।ब्रह्मा से उसने अपने सम्पूर्ण दूखो  का रो रोकर निवेदन किया।तब ब्रह्मा उसे अपने साथ साथ लेकर भगवान विष्णु के पास गए।भगवान विष्णु शयन काल में थे।उनको शयन करते हुए सतयुग और त्रेता युग बीत गए थे।


भगवान विष्णु के पास जाते समय ब्रह्मा के पास देवादी एवम् समस्त मुनिगन भी संग हो गए।सबने वहां जाकर समाहुक प्रार्थना की।तब भगवान विष्णु की योगनिद्रा की निंद्रा टूटी।उन्होंने सबके आने का कारण पूछा।तब ब्रह्मा ने उनको पृथ्वी का सारा दुख बतलाया। इस पर विष्णु भगवान सबके साथ स्मेरू पर्वत पर आए।तब वहां पर दिव्य सभा हुई। इस सभा में पृथ्वी ने अपने सारे दुखों का वर्णन किया।





परमपिता ब्रह्मा ने तब भगवान विष्णु से पृथ्वी को हरण करने की प्रार्थना की।उनसे निवेदन किया कि पृथ्वी पर आकर अवतार ग्रहण करे।
ब्रह्मा इस प्रार्थना पर विष्णु बोले आज से काफी समय पहले मैंने पृथ्वी को भयमुक्त करने का निश्चय कर लिया है मैंने समुद्र को राजा शांतनु के रूप में पृथ्वी पर भेज दिया है। मैं पहले ही जानता था कि पृथ्वी का भार बढ़ेगा। इस कारण पूर्व में ही मैंने श्री शांतनु के वंश की उत्पत्ति कर दी है गंगापुत्र भीष्म भी वसु ही है वह मेरी आज्ञा से गई है महाराज शांतनु की द्वितीय पत्नी से विचित्रवीर्य नामक पुत्र उत्पन्न हुआ है इस समय उनके दोनों पुत्र धृतराष्ट्र और पांडु भूमि पर है। पांडु की दो पत्नियां है कुंती और माद्री। धृतराष्ट्र की पत्नी है गंधारी। अतएव देवता गण शांति वंश में जन्म ले।






 तत्पश्चात में भी जन्म लूंगा भगवान विष्णु के इस कथन पर समस्त देवता गणों वसु गणों आदित्यो
अश्विनी कुमारों ने पृथ्वी पर अवतार ग्रहण किए सब ने भरत वंश में जन्म लिया। सूत जी बोले मुनि वरो। इस प्रकार धर्म ने युधिष्ठिर इंद्र ने अर्जुन वायु ने भीम दोनों अश्वनी कुमार उन्हें नकुल सहदेव सूर्य ने कर्ण बृहस्पति ने द्रोणाचार्य वसुओ ने भीष्म यमराज ने विदुर कली ने दुर्योधन चंद्रमा ने अभिमन्यु भूरिश्रवा ने शुक्राचार्य वरुण में श्रोता युद्ध शंकर ने अश्वथामा कनिक्कने  मित्र कुबेर ने धृतराष्ट्र और यक्षो मैं गंधर्व सर पो देवक अश्व सेन दुशासन आदि के रूप में पृथ्वी पर अवतार ग्रहण किए। इस प्रकार समस्त देवगण लेकर पृथ्वी पर आ गए। नारद जी को जब यह पता चला तो वह विष्णु जी के पास आए और कुपित होकर बोले जब तक नर नारायण जन्म ना लेंगे तब तक पृथ्वी का भार कैसे हल्का होगा?
नर तो अवतार लेकर पृथ्वी पर चले गए। नारायण रूपी भगवान विष्णु यही विराजमान है आखिर आप क्या कर रहे हैं?


नारद की इस बात पर भगवान विष्णु बोले हे नारद इस समय में मैं विचार कर रहा हूं कि कहां और किस वंश में जन्म लूं अभी तक मैं इसका निर्णय नहीं कर सका हूं। मुन्नी्वरो । भगवान विष्णु की इस कथन पर नारद जी ने उनको कश्यप का वर्णन करते हुए कहा कि वह महात्मा वरुण से गाय मांग कर ले गए बाद में वापस नहीं की। इस पर वरुण मेरे पास आया। तब मैंने कश्यप को गवाला हो जाने का शाप दे दिया इस समय कश्यप वासुदेव के रूप में मेरा श्राप भोग रहे हैं उनकी दोनों पत्नियां देवकी और रोहिणी के रूप में उनके साथ है वह पापी कंस के अधीन रहकर दुख पा रहे हैं वरुण के साथ विश्वासघात करने और मेरे श्राप का फल पा रहे हैं मेरा तो यह सुझाव है कि आप उनके यहां ही अवतार ले। नारद कहां के हो प्रस्ताव भगवान विष्णु ने स्वीकार कर लिया। वह क्षीर सागर में स्थित उत्तर दिशा में अपने निवास में चले गए। फिर मेरु पर्वत की गुफा में प्रवेश कर अपनी दिव्य देह त्याग कर वसुदेव के यहां जन्म ग्रहण करने के लिए चले गए।

Prithvi ka dukh varnan

  पृथ्वी का दुख वर्णन सूत जी बोले द्वापर युग  में अंत समय में पृथ्वी का भार बहुत बढ गया। नाना प्रकार के अत्याचारों से पीड़ित पृथ्वी तब दुखी ...