आंखों के सभी रोगो का अचूक उपाय ----------
कुछ ही दिनों में सभी नेत्र रोगों से छुटकारा पाए
(चाक्षुषी विद्या)
इस चाक्षुषी विद्या के श्रद्धा _विशवास पूर्वक पाठ करने से नेत्र के समस्त रोग दुर हो जाते हैं। आंख की ज्योति स्थिर रहती है। इस पाठ का नित्य पाठ करने वाले के कुल में अंधा नहीं होता। पाठ के अंत में गनधायुकत जल से सूर्य को अर्घ्य देकर नमस्कार करना चाहिए मानो ये आंखों के लिए वरदान है_
विनियोग --- ओम् अस्याश्चाक्षुषीविद्या अहिर्बुधन्य ऋषिर्गायत्री छन्द: सूर्यो देवता चक्षूरोग निवृतये विनियोग: ।
ओम् चक्षु: चक्षु: चक्षु: तेज: स्थिरो भव । मां. पाहि पाहि । त्वरितं चक्षू रोगान् शमय शमय ।मम जातरुपं तेजो दर्शय दर्शय।यथा अहम् अंधो ना स्याम तथा कल्पय कल्पय । कल्याणं कुरु कुरु ।यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षु: प्रति रोध कदुष्करितानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय । ओम् नमः चक्षुस्तेजोदातरे दिव्याय भास्कराय । ओम् नमः करूणा- कराया मृताय । ओम् नमः सूर्याय । ओम् नमो भगवते सूर्यायांक्षितेजसे नमः ।खेचराय नमः। महते नमः। रजसे नमः।तमसे नमः।असतो मां सदगमय । तमसो मां ज्योतिर्गमय । मृत्योरमा अमृतं गमय। उष्णो भगवांछुचि रुप:।हंसो भगवान् शुचिरप्रतिरुप: ।
य इमां चाक्षुषमति विद्यां ब्राह्मणों नित्यमधीते न तस्याक्षिरोगो भवति। न तस्य कुले अन्धो भवति। अष्टौ ब्राहम्णान् सम्यग् ग्राहयित्वा विद्या सिध्दिर्भवति। ओम् नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा।
( जो कोई भी इसका नित्य प्रति पाठ करता है उसके नेत्र ज्योति बढ़ती है और न कुल में कभी अन्धा होता है पाठ के बाद अर्घ्य जरुर देवे )
( जो कोई भी इसका नित्य प्रति पाठ करता है उसके नेत्र ज्योति बढ़ती है और न कुल में कभी अन्धा होता है पाठ के बाद अर्घ्य जरुर देवे )
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