"zone name","placement name","placement id","code (direct link)" apnevichar.com,Popunder_1,15485358,"" 996.com,DirectLink_1,15488589,https://gw7eez7b7fa3.com/jcbu8318e4?key=806f9e0a5edee73db1be15d7846e32a6 भारतीय समाज में धर्म का महत्व

Saturday, May 30, 2020

               बासी  जल और फूल का निषेध

जो फूल, पते और जल बासी हो गए हो, उन्हे देवताओं पर ना चदाए। किंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी नहीं होते।तीर्थो का जल भी बासी नहीं होता। वस्त्र, यज्ञोपवीत और आभूषण में भी निर्मालय दोष नहीं आता।
माली के घर मै रखे हुए फूलों मै बासी दोष नहीं आता। दोना तुलसी की ही तरह एक पोधा होता है भगवान विष्णु को यह बहुत प्रिय है। स्कंद पुरण मै आया है कि दोना की माला भगवान की इतनी प्रिय है कि वे इसे सुख जाने पर भी स्वीकार कर लेते है मनी ,रत्न, सुवर्ण,वस्त्र आदि से बनाए गए फूल बासी नहीं होते।इन्हे परोक्षण कर  चढ़ाना चाहिए।
नारद जी ने मानस (मन के व्दारा भावित) फूल को सबसे श्रेष्ठ फूल माना है।उन्होंने देवराज इंद्र को बतलाया है कि हजारों करोड़ों ब्राह्य फूलों को चड़ा कर जो फल प्राप्त किया जा सकता है वह केवल एक मानस फूल चढ़ा ने से प्राप्त हो जाता हैं। इसलिए मानस पुष्प ही उतम पुष्प है बाह्य पुष्प तो निरमालय भी होते है।मानस पुष्प में बासी आदि कोई दोष नहीं होता।इसलिए पूजा करते समय मन से गड़कर फूल चडा ने का अद्भुत आनंद अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

सामान्यतया निषिद्ध फूल

यहां उन निषेध फूलो को दिया जा रहा है जो सामान्यतया सब पूजा मै सब फूलो पर लागू होते है। भगवान् पर चढ़ाया हुआ फूल निर्मलाय्य होता है सूंघा हुए या अंग मै लगाया हुआ फूल भी इसी कोटि मै आता है। इन्हे ना चढ़ाएं। भोरे के सूघने के फूल दूषित नहीं होते ।जो फूल अपवित्र बर्तन मै रख दिया गया हो अपवित्र स्थान मै उत्पन हो आग से झुलस गया हो,कीड़ों से विढ़ हो सुंदर ना हो।जिसकी पंखुड़ियां बिखर गई हो,
जो पृथ्वी पर गिर पड़ा हो,जो पूर्णतः खिला ना हो,जिसमें खटी गनध या सनाढ़ आती हो, निर्गनध हो या उग्र ग्नध वाला हो,ऐसे पुशपो को नहीं चढ़ाना चाहिए जो फूल बाये हाथ,पहनने वाले अधोवस्त्र आक और रेंड के पते मै रखकर लाए गए हो वे फूल त्याज्य है कलियोको चढ़ाना मना है किन्तु यह निषेध कमल पर लागू नहीं है।फूल को जल मै डूबाकर धोना मना है।केवल जल से इसका प्रोक्षन कर देना चाहिए।

पुष्पादि चढ़ाने की विधि

फूल फल और पते जैसे उगते है,वैसे ही इन्हे चढ़ाना चाहिए।
उत्पन होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है। अतः  चढाते समय इनका मुख ऊपर की ओर ही रखना चाहिए ।इनका मुख नीचे की ओर ना करे। दुर्वा एवं तुलसी दल को अपनी ओर और विलवपत्र नीचे की ओर मुखकर चढ़ाना चाहिए।इनसे भिंन पतो को उपर मुख्कर या नीचे मुख कर दोनों ही प्रकार से चढ़ाया जा सकता है दाहिने हाथ के करतल को उतान कर मध्यमा अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल चढ़ाना चाहिए।

उतारने की विधि

चढ़े हुए फूल को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारे।

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